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जय भीम : क्यों हुई जातिवाद का शिकार? इस फिल्म को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार में सिर्फ दो ही नामांकन मिले।

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  हाल ही मे सपनो की नगरी मुंबई में दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड जाहिर हुए। Bollywood से लेकर साऊथ फिल्म इंडस्ट्री के फिल्मों को अवॉर्ड मिले हैं।  अब बात करते है जय भीम मूवी की तो इस फिल्म को Imdb रेटिंग भी अच्छी मिली हैं। यहां तक की आज तक किसी भी फिल्म को इस तरह की रेटिंग नहीं मिली, साथ ही यह फिल्म ऑस्कर के लिए भी भेजी जानी चाहिए किंतु अभी दादासाहेब फाल्के जैसे पुरस्कार से इस फिल्म को दूर रखा गया तो ऑस्कर पुरस्कार तो बहुत दूर की बात है। आपको बता दे की ऑस्कर के ऑफिशियल यूट्यूब चैनल ने हाल ही में जय भीम फिल्म के कुछ दृश्य प्रदर्शित किए तो लोगो को लगा की जय भीम फिल्म का नॉमिनेशन भारत सरकार की तरफ़ से हुआ है लेकिन आपको बता दे की ऑस्कर की यह साधारण प्रक्रिया नही, किसी भी देश के फिल्म को ऑस्कर मिलने के लिए वहा की सरकार की मंजूरी होनी चाहिए और सरकार की तरफ़ से ही उस फिल्म का नॉमिनेशन हो।  अभी हम देख चुके हैं कि पुष्पा द राइजिंग, 83, मिमी जैसी फिल्मों को दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया लेकिन जय भीम फिल्म को किसी तरह के बड़े पुरस्कार से सम्मानित नही किया गया।  इसका मतलब साफ़ है की जय

Bollywood फ़िल्म इंडस्ट्री में कहानी और मनोरंजन का पड़ा अकाल : दर्शक क्यों पसंद नहीं करते बॉलीवुड फिल्मे ? एक विश्लेषण

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  जिस जगह से भारत में फिल्मे बनाने की शुरुवात हुई और जिस जगह ने बॉलीवुड के महान कलाकार दिए ऐसी फिल्म इंडस्ट्री आज खत्म होने के कगार पर है। लोग बॉलीवुड से ज्यादा साउथ की फिल्मे पसंद करते हैं। बॉलीवुड ने कभी भी सभी तरह के लोगो को एक जैसा मौका नहीं दिया, जैसे यहां जाति और धर्म के नाम पर भेदभाव होता रहा हैं। इसका सूचक देखना है तो हम यह पता कर सकते। आप बॉलीवुड के कलाकारों की जाति और धर्म देखिए और पता लगाइए कोन जाति और कोन धर्म के लोग सबसे ज्यादा है, ठीक वैसे ही कोन जाति और धर्म के लोग इस फ़िल्म इंडस्ट्री में कम हैं। इससे हमे सटीक तरीके से पता लगेगा की बॉलीवुड में सभी लोगो के प्रतिनिधित्व के बारे में क्या सोच हैं।  बॉलीवुड में सुंदरता की परिभाषा और पैमाना भी तय हैं या नहीं यह बता नही सकते। बॉलीवुड की एक फिल्म आई थी जिसका नाम बाला हैं, उस फिल्म में गोरी लडकी को सावली बनाकर पेश किया गया। इससे हमे पता चलता है सुंदरताके प्रति बॉलीवुड की सोच क्या हैं। जिस तरह से बॉलिवुड यह साउथ के फिल्मों की रीमेक बना के दर्शकों को परोस रहा है। उससे यह साफ जाहिर होता हैं की बॉलिवुड के पास कॉन्टेंट की बहुत कमी है

गहराहिया : amezon प्राइम के व्यूअर्स के साथ एक मज़ाक

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  गहरहिया देखने के बाद हम अब बोल सकते हैं कि बॉलीवुड के दिन खत्म हो गए हैं। Amazon प्राइम जैसे एक ब्रांडेड प्लेटफार्म पर एक फ़िल्म आती हैं, जिसमे न तो कहानी है और न ही कुछ खास वजह जिसे हम देख सके।  इस फ़िल्म को अगर बॉलीवुड का सॉफ्ट पोर्न भी कहा जाए तो चौकिएगा मत। इस फ़िल्म में आपको भरपूर गाली गलोच का इस्तेमाल हुआ मिलेगा लेकीन इस गाली देने के पीछे कोई वजह भी तो होनी चाहिए ना।  फ़िल्म को देखने के बाद ऐसा लगा कि फिल्म के निर्माताओं ने यह फ़िल्म भांग और गांजा पीकर बनाई हो, ऐसी फ़िल्म को बनाने के पीछे की कोई वजह ही नज़र नहीं आती है। इससे भी बड़ी बात यह है की इसे Amazon प्राइम जैसे बड़े प्लेटफार्म पर कैसे दिखाया जा सकता है ( पैसा हो तो कुछ भी हो सकता हैं)  हम इस फ़िल्म का कोई रिव्यू नही देनेवाले, यह तो हमारा फ्रस्ट्रेशन हैं जो इस ब्लॉग के माध्यम से निकल रहा है।  बॉलीवुड को साउथ फ़िल्म इंडस्ट्री से कुछ सीखना चाहिए, कम बजेट के बावजूद भी एक अच्छी कहानी और मनोरंजन के साथ-साथ  सामाजिक संदेश भी देते हैं।  अच्छा हुआ गहराहिया यह फ़िल्म सिनेमा घरों में प्रदर्शित नही हुई वर्ना सिनेमाघरों के मालिक को ब

"श्याम सिंघा रॉय" एक सामाजिक तथा काल्पनिक रचना

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  "श्याम सिंघा रॉय" यह फ़िल्म पिछले साल ही तेलगु भाषा में प्रदर्शित हुई है लेकीन अभी यह फिल्म किसी खास वजह से चर्चा में हैं।  इस फ़िल्म में एक सीन सोशल मीडिया पे बहुत तेजी से वायरल हो रहा है। उसमे दिखाया गया है की गांव के पुरोहित और पंडित लोग lower caste के व्यक्ति को पाणी पीने से रोकते है, तभी इस फिल्म के डैशिंग हीरो श्याम सिंघा रॉय (नानी) की जबरदस्त एंट्री होती है और वहा के लोगो से पूछता है कि ' इसमें और तुम में क्या फर्क है' तभी पंडित बोलते हैं की इसे इस कुवे से पाणी नही दे सकते तभी श्याम सिंघा रॉय रुद्र अवतार में बोलते हैं  'इस देश में ऋग्वेद नहीं हैं, अभी भारत का संविधान है' तभी वहा के पंडित और पुरोहित बोलते हैं अपने आप को क्या अंबेडकर समझ रहे हो। इसी बीच श्याम सिंघा रॉय उस अछूत व्यक्ति को उठाते है और कूवे में डाल देते है, उसके बाद ऊपर निकलने में मदद करते हैं।  इस तरह के बहुत सारे सीन आपको देखने के लिए मिल जायेगे। यह फ़िल्म एक सामाजिक संदेश देती है तो दूसरी जगह यह काल्पनिकता को भी रखती हैं, इस फ़िल्म का कोई एक जॉनर नही है।  हाल ही मे दक्षिणात्य फिल्म जय भ